ऊटी: विश्व प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में से एक है ऊटी
ऊटी को डेस्टिनेशन स्पॉट बनाने में जॉन सुलीवन का महत्वपूर्ण योगदान है।
यहाँ चाय बागान होने की वजह से ऊटी की चाय दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
ऊटी, जिसे उधगमंडलम के नाम से भी जाना जाता है, कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा के समीप बसा यह शहर मुख्य रूप से हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता है। भारत के तमिलनाडु राज्य के नीलगिरी जिले में स्थित यह नगर नीलगिरि पर्वतमाला में बसा हुआ है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ठंडी जलवायु और हरियाली के लिए जाना जाता है। ऊटी समुद्र तल से लगभग 2,240 मीटर यानि 7,350 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यह गर्मियों के दौरान एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन जाता है। यह शहर एक उपोष्णकटिबंधीय उच्चभूमि जलवायु है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत में एक से बढ़कर एक घूमने लायक हिल स्टेशन है। ऊटी भी उन्हीं हिल स्टेशनों में से एक है। विश्व प्रसिद्ध शहर ऊटी हनीमून के लिए शानदार जगह मानी जाती है क्योंकि ऊटी की जलवायु साल भर सुहावनी रहती है। ऊटी को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है। गर्मियों में तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जबकि सर्दियों में यह 5 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। यह स्थान मॉनसून के दौरान भारी वर्षा का अनुभव कराता है। यहाँ चाय बागान होने की वजह से ऊटी की चाय दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहाँ चाय बागानों का दौरा करना एक अनूठा अनुभव होता है। ऊटी का घर का बना चॉकलेट बहुत लोकप्रिय है और पर्यटकों के बीच बहुत पसंद किया जाता है। इन्हीं पहाड़ों से कुछ ही दूरी पर छोटे शहर जैसे कुन्नूर और कोटागिरी भी हैं। इन शहरों का मौसम भी ऊटी की ही तरह सुहावना होता है। ऊटी की अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि और पर्यटन पर निर्भर है।
ऊटी को डेस्टिनेशन स्पॉट बनाने में जॉन सुलीवन का महत्वपूर्ण योगदान है। ऊटी में पहले टोंगा आदिवासियों का गढ़ था। जॉन सुलीवन को यहाँ का वातावरण पसंद आने लगा जिसके बाद उन्होंने इन स्थानीय जातियों से जमीन खरीदना शुरू किया। उसके बाद अंग्रेजों के हिंदुस्तान आने के बाद ऊटी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ। आज भी यहाँ अंग्रेजी शासनकाल की बहुत से खूबसूरत गेस्टहाउस आपको दिखाई देंगे।
ऊटी घूमने के प्रमुख आकर्षण:
1. ऊटी झील: यह एक कृत्रिम झील है जिसे अंग्रेजों ने 1824 में बनवाया था। यहाँ बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है।
2.डोडाबेट्टा पीक: यह नीलगिरि पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी है और यहाँ से पूरे इलाके का शानदार दृश्य देखा जा सकता है। इसके कुछ दूरी पर बेहद खूबसूरत कला हट्टी जलप्रपात है जिसका पानी 36 मीटर ऊंचाई से गिरता है।
3. बॉटनिकल गार्डन: सन 1848 में बनाया गया यह गार्डन 55 एकड़ में फैला हुआ है और यहाँ विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और फूल देखने को मिलते हैं।
4.रोज़ गार्डन: यह एशिया का सबसे बड़ा रोज़ गार्डन है जिसमें हज़ारों प्रकार के गुलाब उगाए जाते हैं।
इसके अलावा यहाँ सुंदर कॉटेज, फेंच्ड फूलों के बगीचे, फूल की छत वाले चर्च और खूबसूरत सड़कें हैं और यहाँ चीड़ के पेड़ भी काफी मात्र में उगाए जाते हैं। घुड़सवारी का लुफ़त उठाने के लिए भी यह बेहतरीन जगह है। कैटी वैली ऊटी से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर है। यह कुन्नूर रोड पर है जो एक शानदार पर्यटन स्थल है। यहाँ पोनोलॉजीकल स्टेशन, लाज झरना, कालार कृषि फार्म और रैलिया डैम प्रमुख देखने लायक जगहें हैं। ऊटी से 67 किलोमीटर की दूरी पर मुडुमलाई वन्य प्राणी विहार है। यहाँ बहुत से पेड़ पौधे और जीव-जन्तुओं की दुर्लभ प्रजातियाँ आपको देखने को मिलेंगे।
ऊटी की संस्कृति और उत्सव:
ऊटी में विविध संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है। यहाँ विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं जैसे तमिल, अंग्रेजी, कन्नड़ और मलयालम। प्रमुख त्योहारों में पोंगल, दीवाली और क्रिसमस शामिल हैं। मई महीने में यहाँ का वार्षिक ग्रीष्मोत्सव (समर फेस्टिवल) बहुत लोकप्रिय है जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, फूलों की प्रदर्शनी और खेल प्रतियोगिताएं होती हैं।
कब और कैसे जाएं ऊटी:
ऊटी की यात्रा के लिए अप्रैल से जून का समय सबसे बेस्ट रहता है क्योंकि इस समय वहाँ का वातावरण घूमने-फिरने के लिए उपयुक्त होता है। यदि थोड़ा ज्यादा ठंड का लुफ़त उठाना हो तो सितंबर से नवंबर का महिना बेस्ट है।
• हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा कोयम्बटूर में है, जो ऊटी से लगभग 88 किलोमीटर दूर है।
• रेल मार्ग: ऊटी का निकटतम रेलवे स्टेशन मेट्टुपालयम में है, जहाँ से नैरो गेज रेलवे द्वारा ऊटी तक पहुँचा जा सकता है।
• सड़क मार्ग: ऊटी देश के प्रमुख शहरों से अच्छी सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहाँ नियमित बस सेवाएँ भी उपलब्ध हैं।
ऊटी अपने प्राकृतिक सौंदर्य, सुखद जलवायु और सांस्कृतिक धरोहर के कारण एक अद्वितीय पर्यटन स्थल है। यह स्थान प्राकृतिक प्रेमियों, ट्रेकर्स और उन सभी के लिए आदर्श है जो शांति और सुकून की तलाश में हैं।